CONSIDERATIONS TO KNOW ABOUT SHIV CHALISA LYRICS IN PUNJABI

Considerations To Know About shiv chalisa lyrics in punjabi

Considerations To Know About shiv chalisa lyrics in punjabi

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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

As many are the sorts of Shiva, so Most are her divine consorts, especially if we consider the Puranas. They depict the power of the specified facet that Shiva embodies every now and then. So Now we have Uma, the benefactress; Sati, the bride who throws herself into the hearth over the sacrifice officiated by her father, Daksha, responsible of getting excluded Shiva within the sacrifices for her resigned and ascetic look; Parvati, daughter of your Himalayas; the black Kalì, the destroyer; Bhairavi and Durga.

अर्थ- पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है।

अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

शरच्चन्द्रगात्रं गुणानन्द पात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।

जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, get more info इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

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